पिला कर रोज़ मोहब्बत का जाम उन्होंने कह दिया,
जयादा नशे की आदत अच्छी नही होती,,
बड़े खुश किस्मत है वो लोग जो तेरे घर के सामने रहते है ,,
झूमने लगते है मेरी शायरी के अल्फ़ाज़ इस कदर ,
जब शुरू होताहै मेरे लिखना उसे सोच कर ,,
नफरत न करना पगली हमे बुरा लहेगा ,
बस प्यार से कह देना अब तेरी जरुरत नही ,,
कोई मुझे अपना सौतेल बॉयफ्रेंड ही बना लो यार,
तुम्हारी कसम रोज़ गोलगप्पे खिलाएंगे,,
मैं भीगती सांसे और तुम्हारी होटो की कपकपी,
तुमसे जब भी गले लगा मुझे होश न रहा
वो बचपन कितना सुहाना था सर ए आम रोया करते थे ,
अब एक आँशु भी गिरे तो लोग हज़ारो सवाल करते है,,