bharat se dharwad ko kis ne jane ke liye majboor kiya


dharawad"" भारत में बहार से आने वालो में दरावड़ खास थे । वह इस मुल्क के जयादा तर हिस्सों में
फैल गए । यहाँ पर हर जगह कब्ज़ा किया और एक ज़बरदस्त बुनियाद डाली जिस पर 'हड़प्पा' मोहन जोदोड़ो' और जुनूबी हिन्द के बाज़ मकामात खंडरात अब तक गवाह है । dharawad मुद्दतो  इस मुल्क पर काबिज़ रहे । इस्वर ने उन्हें अपनी बहोत सी नेमतों से नवाजा , मगर रफ्ता रफ्ता इन के जनाशिन  भी ऐसा वा इसरत में फँस गए । उन्होंने एक इस्वर  केे साथ साथ देवी देवताओ को सरीक करना सुरु कर दिया , जादू टोने और छु मंतर का आलम भी रिवाऐज़ हो गया । तो हम परस्ती ने व्हेशियना जुल्म पर आमद हो गया । देवी देवताओ वग़ैरह पर इंसानो की मोहतरम जाने तक क़ुर्बान की जाने लगी । ग़रीबो और मजबूरों पर ज्यादती होने लगी । बनाओ से कही जयादा बिगाड़ शुरू हुवा । इस्वर की ये बनाई संवारी सरजमी मामूली तोर पर फितना फसाद से भर गई । नतीजे में इस्वर का कहर गज़ब टुट पड़ा , क्यों न हो वह तो पूरी दुनिया की नफा रसानी को पसन्द करता है। इस सूरते हाल के बावजूद मोहलत भी देना उसकी शान के खिलाफ होता । and उस ने आर्य नामी एक बैरोनि कौम को उन पर मोसल्लत कर दिया । जिसने उनकी शानदार बस्तियों की ईंट से ईंट बजा दी , उनके आलिशान महलो और मज़बूत किलो को तहस नहस कर दिया । कितनो का क़त्ल हुवा । कितनो ने भाग कर जंगलो और पहाड़ो में पनाह ली , कितने नोकर चाकर  and गुलाम बना लिए गए । और न फरमान लोगों का यही हस्र होता है।

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