ये कहानी है राज की है जो
सीधा सादा लड़का है।।।पढ़ाई में फस्ट हर खेल में
फस्ट मान लो की हर काम में फास्ट था राज"घर
की कुछ परेशानी को देखते हुवे राज
अपनी पढ़ाई छोड़ देता है और अपने परिवार
की तंगहाली को दूर करने के लिए
नोकरी करने लगता है,बहोत ही
मेहनत एन्ड ईमानदारी से अपने काम को करता है
ऑफिस में सब उसकी लगन ईमानदारी
की की प्रसंसा करते रहते है,
सका एक ही सपना था की खुद
की अपनी कम्पनी हो वो
अपनी मेहनत के बल पर कामयाबी
की राह पर निकल पड़ा धीरे
धीरे राज ने अपनी खुद की
छोटी सी कम्पनी सुरु
की और कम्पनी भी चल
पड़ी"अब उसके परिवार की हालत पहले
से बहोत अच्छी हो गई।।उधर राज के माँ बाप
उसकी शादी पर जो देने लगे पर राज
अभी शादी नही करना चाहता
था माँ बाप की ज़िद्द के आगे राज को झुकना
ही पड़ा राज शादी के लिए तैयार तो हुवा
पर उसकी इक शर्त थी की
जब तक वो अपनी कम्पनी
की एक और (शाखा )नही खोल लेता
शादी नही करेगा ।। राज के माँ बाप
भी राजी हो जाते है।और राज का रिश्ता
देखना। सुरु कर देते है एक रिश्ता पसन्द भी हो जाता
है""
#निशा# के साथ,धीरे धीरे वक़्त गुजरता
है । राज सोचता है क्यों न निशा से फ़ोन पे बात कर ले। राज
अपनी सिस्टर के जरिये निशा को अपना मोबाइल न0 देता
है ,पर निशा फ़ोन नही करती । राज निशा
के फ़ोन का इन्तेजार हर वक़्त करता रहता है। 2
महीना गुज़र गया निशा को न0 दिए ।राज को एक दिन
अनजान न0 से फ़ोन आता है राज ने फ़ोन उठाया ,दूसरी
तरफ निशा होती है 10 मिनट की बात में
राज के दिल की बेचैनी बड़
जाती है ।पहले बात नही हुई वक़्त
गुजर जाता था।अब वक़्त कटना मुश्किल लगने लगा
यही हाल निशा का भी होता है वो घर में
किसी सोच में गुम थी की
तभी उसकी बेस्ट फ्रेंड #प्रिया#
आती है जो इक आज़ाद ख़याल की चंचल
लड़की है। निशा को उदास देख कर प्रिया उससे
पूछती है की कहा खोई है
मेरी प्यारी निशा ।निशा उसको
बताती है की तेरे होने वाले
जीजा की याद आ रही है
बात करने का दिल करता है ।निशा उसको बताती
की किस तरह राज को एक बार
दीदी के मोबाइल से बात की
है तब से उनसे बात करने का दिल करता है। मैंने उन्हें मना
भी किया है की फ़ोन ना करे ये न0
किसी और का है।अब दिल है की मानता
नही क्या करू तुही बता। प्रिया निशा को
मोबाइल देती है फ़ोन करने के लिए निशा फ़ोन
करती है ।राज काम में बिजी होने के
कारन फ़ोन नही उठाता 3+4 कॉल करने के बाद जब
फ़ोन नही उठता तो निशा प्रिया को मोबाइल वापस दे
देती है"
राज जब अपने काम से फ्री होता है मोबाइल पर
3+4 मिस कॉल देखता है तो कॉल बैक करता है फ़ोन प्रिया
उठती है । पहले प्रिया तो सरारत करती
है अनजान बन कर बात करती है प्रिया उसको
बताती है की वो निशा की
फ्रेंड प्रिया है फ़ोन निशा ने किया था लेकिन तब आपने फ़ोन उठाया
नही ।अब मैं घर वापस आ आ गई हूँ राज दिल
ही दिल अपनी किस्मत को कोसता है
और फ़ोन कट हो जाता है ।प्रिया को राज का बात करने का अंदाज़
बहोत भाता है ।प्रिया राज को फिर फ़ोन करती है ।
धीरे धीरे दोनों बात करने लगते है प्रिया
दिल ही दिल राज को पसन्द करने लगती
है इन सभी बातों से निशा अनजान होती
है उसको किसी बात का पता नही होता।
राज प्रिया को सिर्फ एक जरिया मानता है निशा से बात करने के लिए।
प्रिया राज को मिलने के कहती है बार बार कहने पर
राज राजी हो जाता है । दोनों मिलते है ,मॉल में जाते
है फिर प्रिया के कहने पर मूवी (फ़िल्म) देखने जाते
है प्रिया अपने दिल की बात राज से
कहती है और (i LOVE YOU) मैं तुमसे प्यार
करती हूँ।बोलती है राज मना कर देता है
और कहता है की निशा से तुम्हारी
शिकायात करूँगा । मूवी(फ़िल्म)बीच में छोड़
कर घर आ जाता है....प्रिया राज को फ़ोन करती है
और सॉरी(sorry)बोलती है राज (it,s
ok)ओके बोल कर बात ख़त्म कर देता है प्रिया उसको मिल कर
सॉरी (sorry)बोलने की ज़िद्द
करती है राज राज़ी हो हो जाता है दोनों
फिर मिलते है पर प्रिया के दिल में अपने ठुकराये जाने का मलाल था
और वो बदले की आग में जल रही
थी। वो एक चल चलती है....दोनों मिलते
है प्रिया सॉरी(sorry)बोलती है राज
उससे कहता है की इन सब बातो को छोडो""
और बात इधर उधर की करने लगता है प्रिया उसको
लेकर लॉन्ग ड्राइव पर ले जाती है रासते में
गाड़ी बिगड़ जाती है प्रिया
कहती है की गाड़ी ख़राब
हो गई है दोनों जब गाड़ी से निकलते है इतने में एक
तेज़ रफ़्तार गाड़ी आती है राज प्रिया को
बचाने के चक्कर में गाड़ी के निचे आ जाता है और
वही पे दम तोड़ देता है। ये एक हादसा
नही था ये एक बदले की आग
थी जो प्रिया के दिल में भड़क रही
थी प्रिया ने ही ये हादसा कराया था प्रिया ने
सोचा कुछ और था हुवा कुछ और वो खुद को राज के बाँहों में रह
कर दम तोड़ना चाहती थी पर राज खुद
उसकी बाँहों में दम तोड़ चूका था"""प्रिया
जिंदगी भर पस्तावेे की आग में
जलती रही वो जब भी निशा
को जो देखती उसकी यादें ताज़ा हो
जाती । एक ऐसे गुनाह की सजा उसको
मिल रही थी जिसका उसको गुमान
भी नही था सोचा कुछ हुवा कुछ .....ये
एक राज़ ऐसा था की किसी को
इसकी जानकारी नही
थी जब तक है इस आग में जलती
रहेगी ,,,,,,
Writer..mr.wasim ansari